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23 साल की लड़की ने रचा इतिहास (Success Story of Sripathy in Hindi)

23 साल की लड़की ने रचा इतिहास (Success Story of Sripathy in Hindi)
  • PublishedFebruary 16, 2024

Success Story of Sripathy in Hindi- सिविल जज वी श्रीपति की संघर्ष की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। एक छोटे से गांव में रहने वाली आदिवासी लड़की वी श्रीपति ने 23 साल की उम्र में तमिलनाडु लोक सेवा आयोग (TNPSC) द्वारा आयोजित सिविल कोर्ट जज एग्जाम क्रैक करके इतिहास रच दिया है। जिनकी परीक्षा से दो दिन पहले डिलीवरी हुई थी और उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे को जन्म देने के बाद भी वह 250 KM दूर  एग्जाम देने गईं थीं। वी श्रीपति, थिरुपाथुर जिले के पुलियूर गांव में मलयाली जनजाति से संबंधित येलागिरी हिल्स की रहने वाली हैं।  

वो तिरुवन्नामलाई (Tiruvannamalai) में आरक्षित वन (reserved forest) की सीमा से लगे थुविंजिकुप्पम (Thavalakuppam) में रहती थीं। तमिलनाडु की पहली आदिवासी महिला सिविल जज श्रीपति की शिक्षा येलागिरी हिल में हुई है। और उन्होंने अपना बी.ए.बी.एल लॉ कोर्स पूरा किया। इनके माता पिता का नाम कलियाप्पन और मल्लिगा हैं। श्रीपति कलियाप्पन और मल्लिगा की सबसे बड़ी बेटी हैं। (Success Story of Sripathy in Hindi)

श्रीपति ने बच्चे को जन्म देने के कुछ दिन बाद दिया था सिविल जज एग्जाम। (Success Story of Sripathy in Hindi)

श्रीपति की पढाई के दौरान ही शादी हो गई लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। लेकिन सिविल जज एग्जाम की तैयारी कर रही श्रीपति इस बात से परेशान थीं कि बच्चे के जन्म की तारीख और परीक्षा की तारीख एक ही दिन आ गई। और फिर Good luck से श्रीपति ने परीक्षा से एक दिन पहले बच्चे को जन्म दिया।  बच्चे के जन्म के बावजूद श्रीपति अपने पति, रिश्तेदारों  की मदद से प्रसव के दूसरे दिन कार से चेन्नई गईं और सिविल जज का एग्जाम दिया।  

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उनकी इस उपलब्धि ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और भी कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।  सिर्फ इसलिए ही नहीं क्योंकि वो राज्य के सबसे पिछड़े पहाड़ी इलाकों में से एक से आती है, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने बच्चे को जन्म देने के कुछ ही दिन बाद  परीक्षा दी थी। (Success Story of Sripathy in Hindi)

सीएम स्टालिन ने भी श्रीपति को ट्विटर पर दी बधाइयाँ। (Success Story of Sripathy in Hindi)

सीएम एमके स्टालिन ने श्रीपति की उपलब्धि की सराहना की।  उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर पर लिखा, ‘मुझे यह देखकर खुशी हुई कि एक वंचित पहाड़ी गांव की एक आदिवासी लड़की ने इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है।  मुझे यह जानकर गर्व है कि श्रीपति को उस आदेश के माध्यम से न्यायाधीश के रूप में चुना गया है जिसे हमारी द्रविड़ मॉडल सरकार ने तमिल में शिक्षित लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता के रूप में लाया है। 

उसकी सफलता में सहयोग देने के लिए उसकी मां और पति को धन्यवाद! तमिलनाडु का उत्तर श्रीपति जैसे लोगों लोगों की सफलता है जो सामाजिक न्याय शब्द का उच्चारण करने का साहस किए बिना तमिलनाडु आते हैं। (Success Story of Sripathy in Hindi)

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार परीक्षा में सफल होने के बाद श्रीपति को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। जिसे पास करने में वह सफल रही। 23 साल की उम्र में सिविल जज के रूप में चुनी जाने वाली वह पहली आदिवासी महिला हैं। उनके गांव ने भी उनकी इस सफलता के लिए स्वागत समारोह आयोजित किया। (Success Story of Sripathy in Hindi)

अपनी जान जोखिम में डालकर दी परीक्षा (Success Story of Sripathy in Hindi)

खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर/एक्स  पर वी श्रीपति को Appreciate करते हुए लिखा, ‘हमें खुशी है कि तमिल माध्यम में पढ़ाई करने वालों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने के हमारे द्रविड़ मॉडल सरकार के अध्यादेश के माध्यम से सिस्टर श्रीपति को न्यायशास्त्र न्यायाधीश के रूप में चुना गया है।  विशेषकर, बच्चे को जन्म देने के दो दिन बाद परीक्षा देने की कठिन परिस्थिति में अपनी अपनी जान जोखिम में डालकर परीक्षा के लिए लंबी दूरी तय करने का उनका दृढ़ संकल्प सराहनीय है।  श्रीपति के सपनों को जीतें, जो दूसरों के लिए एक उदाहरण हैं, क्योंकि शिक्षा ही एकमात्र अविनाशी संपत्ति है। (Success Story of Sripathy in Hindi)

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गांव वालों ने ढोल-माला के साथ श्रीपति का किया स्वागत (Success Story of Sripathy in Hindi)

श्रीपति के परिवार ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2023 में 250 किलोमीटर दूर चेन्नई में परीक्षा दी और कुछ दिन पहले final selection के लिए साक्षात्कार में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उनके गांव ने भी इस पद पर उनके चयन के बाद ढोल, माला और एक भव्य जुलूस के साथ एक स्वागत समारोह आयोजित किया। और श्रीपति सिविल जज बनने का बाद गांव में और उनके परिवार में खुशी का माहौल दौड़ आया हैं। क्योंकि अभी तक गांव में कोई भी इतने बड़े पद पर नहीं पहुंचा। 

Written By
Naval Kishor

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