भारत में मतदान के लिए EVM का पहली बार इस्तेमाल कब हुआ ? (First time use of EVM for voting)
First time use of EVM for voting- भारत में अभी अप्रैल के महीने से लोकसभा चुनाव की वोटिंग शुरू होने वाली है। लोकसभा चुनावों की चलती हुई इस चर्चा के बीच कभी कभी लोग EVM मशीन पर भी चर्चा करने लगते हैं। क्योंकि टेक्नोलॉजी के बढ़ते हुए अब भारत में वोटिंग के लिए ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कई लोगो के मन में यह सवाल होता है की भारत देश में पहली बार ईवीएम मशीन से वोटिंग कब शुरू हुई और सबसे पहले कौनसे राज्य में EVM मशीन से वोटिंग हुई थी।
सबसे पहले यह जानते है की EVM मशीन क्या होता है ?(First time use of EVM for voting)
EVM का मतलब होता है – इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic voting machine)
EVM मशीन में दो यूनिट होती है। पहली यूनिट कंट्रोल यूनिट और दूसरी बैलेट यूनिट होती हैं। कंट्रोल यूनिट को चुनाव अधिकारी दबाता है। चुनाव अधिकारी द्वारा इस बटन दबाते ही बैलेट यूनिट एक्टिव हो जाती है और फिर वोटर्स के द्वारा वोट डाला जाता है। वोट डालने के बाद बीप की आवाज जिससे चुनाव अधिकारी को पता चलता है कि वोट डल चुका है।
भारत की दो सरकारी कंपनियां ही EVM मशीन को बनती हैं। EVM मशीन को बनाने का टेंडर केवल भारत की दो कम्पनियो के पास ही हैं। (First time use of EVM for voting)
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1. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) बेंगलुरु – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) भारत सरकार का एक वेंचर है जो भारत में वोटिंग के लिए EVM मशीन तैयार करती है और इसके साथ ही डिफेंस, Aerospace और Civil sector के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स और सिस्टम्स की एक Extensive range को डिजाइन, डेवलप, Manufacturers करने के साथ साथ उनकी सप्लाई भी करती है। यह भारत सरकार के Ministry of Defence के तहत एक Navratna PSU कंपनी है।
2. इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) हैदराबाद – Electronics Corporation of India Limited (ECIL) की स्थापना 11 अप्रैल 1967 को श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हैदराबाद में एएस राव द्वारा की गई थी। इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य business grade electronics के क्षेत्र में strong indigenous capacity का विकास करना था। भारत में वोटिंग के लिए पहली EVM मशीन भी इसी कंपनी में बनाई गई थी। (First time use of EVM for voting)
जब वोटिंग खत्म हो जाती है तो उसके बाद EVM और VVPAT को जिस जगह रखा जाता है, उसे स्ट्रॉन्ग रूम कहा जाता है। इस स्ट्रॉन्ग रूम में बहुत ही tight security होती है। स्ट्रॉन्ग रूम में 24 घंटे CAPF के जवान तैनात रहते हैं। और यहाँ इस रूम में 24 Hours CCTV कैमरे भी Active रहते हैं। (First time use of EVM for voting)
आइये अब जानते है EVM का इतिहास (First time use of EVM for voting)
भारत में पहली बार चुनाव आयोग ने 1977 में सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) को EVM बनाने का टास्क दिया। 1979 में ECIL ने EVM का prototype present किया, जिसे 6 अगस्त 1980 को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों को दिखाया। इसके बाद, मई 1982 में पहली बार केरल में विधानसभा चुनाव EVM से कराए गए। लेकिन उस समय EVM से चुनाव कराने का कानून नहीं था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम द्वारा मतदान को चुनौती दी गई, जिसके बाद उन चुनावों को रद्द कर दिया गया। (First time use of EVM for voting)
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इसके बाद, 1989 में Representatives of the People’s Act, 1951 में संशोधन किया गया और EVM से चुनाव कराने की बात की गई। लेकिन फिर भी कानून बनने के बाद कई सालों तक EVM का इस्तेमाल नहीं हो सका। 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा सीटों पर EVM से चुनाव कराए गए। 1999 में 45 लोकसभा सीटों पर भी EVM से वोट डाले गए। (First time use of EVM for voting)
फरवरी 2000 में हरियाणा के चुनावों में भी 45 सीटों पर EVM का इस्तेमाल हुआ। मई 2001 में पहली बार तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर EVM से वोट डाले गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर EVM से वोट पड़े। तब से ही हर चुनाव में सभी सीटों पर EVM से वोट डाले जा रहे हैं।