चिनाब ब्रिज तैयार: आज पीएम करेंगे उद्घाटन, अब दिल्ली से जुड़ेगा कश्मीर ! (chenab railway bridge)

(chenab railway bridge) क्या आपने कभी कश्मीर की सैर की है?
अगर नहीं की, तो अगली बार जब आप जाएंगे, तो सफर पहले जैसा नहीं होगा। क्योंकि अब आप सीधे ट्रेन से श्रीनगर जा सकेंगे। ये मुमकिन हुआ है चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज की वजह से।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस खास ब्रिज का उद्घाटन करने जा रहे हैं। ये पुल सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं है, बल्कि कश्मीर को पूरे देश से जोड़ने वाला एक बड़ा कदम भी है। अब दिल्ली से लेकर कश्मीर तक रेल का सफर और भी आसान और सीधा हो जाएगा। इसके साथ ही कश्मीर में कारोबार, टूरिज्म और विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
पीएम मोदी आज कटरा से वंदे भारत ट्रेन को रवाना करेंगे और उसी ट्रेन से चिनाब ब्रिज तक जाकर उसका उद्घाटन भी करेंगे।
इस ब्रिज को बनने में 16 साल लगे और इसकी लागत करीब 1486 करोड़ रुपये आई। इसे बनाना भारतीय रेलवे के लिए अब तक का सबसे कठिन और चुनौती भरा प्रोजेक्ट था। लेकिन अब ये ब्रिज तैयार है और देखने में भी बेहद शानदार है।
चिनाब ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन का हिस्सा है, जिसकी कुल लागत करीब 43 हजार करोड़ रुपये है।
आइए, अब आपको इस ऐतिहासिक पुल की पूरी कहानी आसान भाषा में बताते हैं… ये ब्रिज दिखने में बिल्कुल धनुष (बो) की तरह है और जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बना है।
20 जून 2024 को यहां पहली बार एक मेमू ट्रेन ने रामबन के संगलदान से रियासी स्टेशन तक ट्रायल रन किया। इससे पहले, 16 जून को इस पुल पर इलेक्ट्रिक इंजन का भी सफल ट्रायल किया गया था।
और आज का दिन खास है, क्योंकि आज पहली बार इस पुल से कोई ट्रेन गुजरेगी। ये पल इतिहास में दर्ज होने वाला है! (chenab railway bridge)
चिनाब ब्रिज: इतना ऊंचा कि नीचे एफिल टावर भी छोटा लगे । (chenab railway bridge)
हमने चिनाब ब्रिज को करीब से देखने के लिए अपना सफर जम्मू से शुरू किया, जो कि इस पुल से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। वहां हमें मिले इस प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर रश्मि रंजन मलिक, जो साल 2015 से इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। उन्होंने ही हमें इस ब्रिज की खास बातें बेहद आसान तरीके से समझाईं।
रश्मि रंजन मलिक ने बताया,
“अगर आप चिनाब नदी के नीचे से इस पुल को देखें तो इसकी ऊंचाई करीब 359 मीटर है।”
तुलना के लिए उन्होंने कहा,
“पेरिस का मशहूर एफिल टावर भी इससे 35 मीटर छोटा है। यानी अगर एफिल टावर को इस पुल के नीचे खड़ा कर दिया जाए, तब भी वो इस पुल को छू नहीं पाएगा।”
वो आगे कहते हैं,
“ये पुल जितना सुंदर है, उतना ही मजबूत भी है। इसकी उम्र कम से कम 120 साल होगी।”
इसे बनाने में करीब 29 हजार मीट्रिक टन स्टील लगा है, जो कि आम पुलों की तुलना में 10 गुना ज्यादा है।
मलिक ने एक दिलचस्प बात और बताई –
पुल का जो आर्च (धनुषाकार हिस्सा) है, वो देखने में तो एक सीधी रेखा में लगता है, लेकिन असल में इसके दोनों सिरे अलग-अलग ऊंचाई पर बने हैं। आर्च को अलग-अलग हिस्सों में जोड़कर (बोल्टिंग से) तैयार किया गया है।
उन्होंने समझाया कि पुल की नींव (फाउंडेशन) जहां से शुरू होती है, वहां चौड़ाई 30 मीटर है, लेकिन बीच में जहां से ट्रेन गुजरती है, वहां ये चौड़ाई सिर्फ 9 मीटर रह जाती है। इसका फायदा ये है कि पुल पर जो भी भार (force) पड़ता है, वो सिर्फ दबाव (compression) के रूप में आता है, जिससे ब्रिज और मजबूत बनता है।
सच में, ये पुल सिर्फ एक निर्माण नहीं, बल्कि इंसानी हुनर और हिम्मत का कमाल है। (chenab railway bridge)
चिनाब ब्रिज: जिसे 2009 में बनकर तैयार होना था, लेकिन काम 2010 में शुरू हुआ। (chenab railway bridge)
चिनाब ब्रिज का आइडिया सबसे पहले साल 2003 में सामने आया, जब इसे बनाने की मंजूरी मिली। उस समय प्लान था कि यह पुल 2009 तक बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। (chenab railway bridge)
काम को लेकर कई तकनीकी और सुरक्षा से जुड़ी बड़ी चुनौतियाँ सामने आईं। 2009 में पूरा प्रोजेक्ट और उसका डिज़ाइन फिर से देखा गया, यानी उसका रिव्यू किया गया। जब रेलवे के अधिकारियों ने नए डिज़ाइन को मंजूरी दी, तब जाकर 2010 में असली काम शुरू हुआ।
नवंबर 2017 में पुल के बेस (नींव और सपोर्ट) का काम पूरा हो गया। इसके बाद पुल के मुख्य हिस्से यानी आर्च को बनाना शुरू किया गया। आखिरकार, 2022 में पुल पूरी तरह तैयार हो गया।
यह इलाका नॉर्दर्न रेलवे के तहत आता है, लेकिन इस ब्रिज को बनाने की जिम्मेदारी दी गई कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को। क्योंकि इस कंपनी ने पहले भी पहाड़ों में ऐसे बड़े रेलवे ब्रिज बनाए हैं, इसलिए उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें यह ज़िम्मेदारी दी गई।
रश्मि रंजन मलिक, जो इस प्रोजेक्ट में डिप्टी चीफ इंजीनियर हैं और कोंकण रेलवे से जुड़े हैं, बताते हैं –
“इस पुल को बनाना कई इंजीनियरिंग शाखाओं का कमाल है।”
मैकेनिकल इंजीनियरिंग ने स्टील के ढांचे (फैब्रिकेशन) का काम किया,
सिविल इंजीनियरिंग ने सर्वे और ढलान की मजबूती (स्लोप स्टेबिलिटी) पर ध्यान दिया,
और इलेक्ट्रिकल टीम ने भी अपना अहम योगदान दिया।
एक वक्त ऐसा भी था जब साइट पर लगभग 2200 मजदूर एक साथ काम कर रहे थे।
यह पुल वाकई में सिर्फ स्टील और सीमेंट का ढांचा नहीं, बल्कि हजारों लोगों की मेहनत और इंजीनियरिंग का चमत्कार है। (chenab railway bridge)

हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में ब्रिज बनाना था सबसे बड़ा चैलेंज। (chenab railway bridge)
रश्मि रंजन मलिक बताते हैं कि जब चिनाब नदी पर ब्रिज बनाने की योजना बनी, तो कई जगहों का सर्वे करने के बाद इस जगह को सबसे सही लोकेशन माना गया। लेकिन असली चुनौती तो हिमालय की ऊंची और कमजोर पहाड़ियों में काम करना था। (chenab railway bridge)
ये इलाका पीर पंजाल रेंज के पास है, जहां की ज़मीन (जियोलॉजी) बहुत ही नाजुक है। इसलिए हर कदम पर सावधानी रखनी पड़ी। सबसे पहले कनेक्टिंग सड़कें बनाई गईं ताकि मशीनें और लोग पहुंच सकें। फिर पहाड़ों की खुदाई शुरू हुई, लेकिन हर कटिंग से पहले और बाद में रॉक की मजबूती की जांच की गई।
मलिक बताते हैं कि काम के हर स्टेप का डॉक्यूमेंटेशन इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक किया गया। सबसे बड़ी बात ये रही कि इतने बड़े प्रोजेक्ट में एक भी मजदूर या इंजीनियर घायल नहीं हुआ।
चिनाब घाटी भूकंप के खतरे वाले ज़ोन 4 में आती है, लेकिन पुल को ज़ोन 5 के हिसाब से डिजाइन किया गया है, ताकि ये रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता तक का भूकंप झेल सके।
यह इलाका तेज़ हवाओं वाला है, जहां 50 किमी/घंटा तक की हवा चलती है। लेकिन ब्रिज को 266 किमी/घंटा की हवा झेलने लायक बनाया गया है। इसके लिए सर्कुलर विंड ब्रेसिंग का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें करीब 3 लाख बोल्ट लगे हैं। साथ ही स्पेशल लिफ्ट लगाई गई है जिससे पूरे पुल का सेफ्टी ऑडिट आसानी से किया जा सके।
ये पुल न सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि हिम्मत, सूझबूझ और सुरक्षा का बेहतरीन उदाहरण भी है। (chenab railway bridge)
चिनाब ब्रिज से टूरिज्म बढ़ेगा, एक्सपोर्ट को फायदा मिलेगा, सेना को भी मजबूती। (chenab railway bridge)
चिनाब रेलवे ब्रिज बनने के बाद अब जम्मू-कश्मीर उधमपुर के रास्ते सीधे दिल्ली से जुड़ गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा टूरिज्म को मिलेगा। अब देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग ट्रेन से आसानी से कश्मीर घूमने आ सकेंगे। साथ ही, लोग खुद इस शानदार ब्रिज को देखने भी आएंगे। (chenab railway bridge)
इंजीनियर रश्मि रंजन मलिक कहते हैं कि यह पुल इंजीनियरिंग में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक तीर्थ जैसा बन जाएगा।
इस ब्रिज का फायदा सिर्फ आम लोगों को ही नहीं, भारतीय सेना को भी बहुत बड़ा फायदा मिलेगा।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी बताते हैं कि अब दिल्ली से कश्मीर तक सीधी रेल कनेक्टिविटी हो गई है, जिससे सेना तक हथियार, गोला-बारूद और टैंक पहुंचाना आसान हो जाएगा।
रेल कनेक्शन बारामूला तक पहुंचने के बाद अब बॉर्डर तक रसद और जरूरी सामान तेजी से भेजा जा सकेगा। पहले जहां कश्मीर घाटी में सेना की मूवमेंट में बहुत समय लगता था, अब रेल रूट से ये काम तेजी से और आसानी से हो पाएगा।
यानी ये ब्रिज सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि पर्यटन, व्यापार और देश की सुरक्षा – तीनों के लिए गेमचेंजर साबित होगा। (chenab railway bridge)
चिनाब ब्रिज से क्यों बढ़ी पाकिस्तान और चीन की टेंशन? (chenab railway bridge)
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी बताते हैं कि चिनाब ब्रिज कश्मीर के अखनूर इलाके में बना है, जो सामरिक (डिफेंस के लिए) बहुत अहम जगह मानी जाती है। (chenab railway bridge)
उन्होंने एक तुलना दी – जैसे नॉर्थ ईस्ट इंडिया में एक संकरी पट्टी है जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक कहा जाता है। अगर दुश्मन उस हिस्से पर कब्जा कर ले, तो देश का उत्तर-पूर्व बाकी भारत से कट सकता है। ठीक उसी तरह, अखनूर भी कश्मीर का चिकन नेक है – एक ऐसा इलाका जो रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है।
अब जब चिनाब ब्रिज बन गया है, तो यहां हर मौसम में सेना और आम लोग आसानी से ट्रेन या गाड़ियों से पहुंच सकते हैं। पहले बर्फबारी या मौसम की वजह से रास्ते बंद हो जाते थे, लेकिन अब कनेक्टिविटी मजबूत हो गई है।
इसी वजह से पाकिस्तान और चीन को चिंता है – क्योंकि अब भारत की सेना इस इलाके में कभी भी, किसी भी हालात में पहुंच सकती है। ये पुल भारत की ताकत को और मजबूत बना रहा है। (chenab railway bridge)
चिनाब ब्रिज: गर्व, रोमांच और विकास की नई उड़ान! (chenab railway bridge)
आप समझ ही गए होंगे कि चिनाब ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं है — ये एक इंजीनियरिंग का अजूबा, देश की ताकत का प्रतीक, और कश्मीर के विकास की नई राह है। अब सोचिए, जब आप अगली बार कश्मीर जाएंगे, तो सिर्फ बर्फ और वादियां ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज से गुजरने का रोमांच भी महसूस करेंगे!
=> ये ब्रिज कश्मीर को दिल्ली से सीधा जोड़ता है
=>टूरिज्म, बिज़नेस और सेना – सभी को इससे फायदा होगा
=> और सबसे बड़ी बात – ये पुल दिखाता है कि भारत कुछ भी कर सकता है, चाहे चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो।
तो अब बताइए — क्या आप भी एक बार चिनाब ब्रिज को अपनी आंखों से देखने जाना चाहेंगे? (chenab railway bridge)
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