दौसा, संवासा गाँव में अंबेडकर जी की मूर्ति का भव्य अनावरण, सामाजिक समरसता और विचारधारा का संदेश

Baba saheb ambedkar Sanwasa दौसा (राजस्थान):
दौसा जिले की निर्झरना तहसील के संवासा गाँव में आज का दिन ऐतिहासिक बन गया जब गाँव के प्रांगण में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की भव्य मूर्ति का अनावरण किया गया। इस अवसर पर गाँव में एक बड़े सामाजिक आयोजन का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों ग्रामीणों ने भाग लिया और बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

इस कार्यक्रम में दौसा सांसद श्री मुरारी लाल मीना मुख्य अतिथि , दौसा विधायक श्री डी.सी. बैरवा, तथा राजस्थान सरकार के पूर्व चिकित्सा मंत्री श्री परसादी लाल मीना, सरपंच ममता मीना, जवाहर बाल मंच के अध्यक्ष और युवावों के प्रेरणा स्रोत दिनेश हंसराज मीना विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मूर्ति की स्थापना स्वर्गीय हंसराज मीणा (सरपंच पति) की स्मर्ति में की गई। (Baba saheb ambedkar Sanwasa)

मंच का संचालन बहुत ही गरिमामय ढंग से किया गया, जिसमें गाँव के बच्चों, युवाओं और महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखाई।
संवासा गाँव बना सामाजिक एकता का प्रतीक: (Baba saheb ambedkar Sanwasa)
इस अनावरण कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि गाँव के सभी वर्गों, जातियों और समुदायों के लोगों ने मिलकर इसका आयोजन किया। यह आयोजन सामाजिक समरसता और एकता का अद्भुत उदाहरण बन गया। बाबा साहब की मूर्ति की स्थापना केवल एक धार्मिक या राजनीतिक कार्य नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन के रूप में उभरा जिसमें गाँव के हर नागरिक ने भागीदारी निभाई।
बाबा साहब के विचारों पर चर्चा (Baba saheb ambedkar Sanwasa)
समारोह में वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर के संघर्षपूर्ण जीवन, उनके संविधान निर्माण में योगदान, दलितों और वंचितों के लिए किए गए कार्यों तथा महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए उनके प्रयासों पर प्रकाश डाला।
सांसद मुरारी लाल मीना ने कहा, “बाबा साहब केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो हमें सामाजिक समानता, न्याय और अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा देती है।” (Baba saheb ambedkar Sanwasa)

विधायक डी.सी. बैरवा ने गाँव के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि “आप सबने मिलकर जो कार्य किया है, वह एक मिसाल है। हमें बाबा साहब के विचारों को सिर्फ मूर्ति तक सीमित नहीं रखना, बल्कि उसे जीवन में उतारना है।”
पूर्व मंत्री परसादी लाल मीना ने कहा, “बाबा साहब ने शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार बताया। अगर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित करते हैं, तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।” (Baba saheb ambedkar Sanwasa)
गाँव की जागरूकता और उत्साह
गाँव के युवाओं ने कार्यक्रम में झांकियों, भाषण प्रतियोगिताओं और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से बाबा साहब की जीवनी को जीवंत कर दिया। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में शामिल हुईं और लोक गीतों से माहौल को भावनात्मक बना दिया।
समापन संदेश (Baba saheb ambedkar Sanwasa)
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों ने ग्रामीणों का आभार जताया और इस कार्य को सामाजिक बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम बताया। उन्होंने बाबा साहब की विचारधारा को घर-घर तक पहुँचाने की अपील की।
संवासा गाँव आज अपने इस ऐतिहासिक आयोजन के माध्यम से पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह केवल एक मूर्ति का अनावरण नहीं था, बल्कि सामाजिक जागरूकता और बदलाव की दिशा में एक सशक्त पहल थी।
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