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AI से चलेगा भविष्य का ऊर्जा केंद्र: गुजरात में तैयार हुआ दुनिया का सबसे विशाल रिन्यूएबल एनर्जी पार्क !! (Green Energy Bharat )

AI से चलेगा भविष्य का ऊर्जा केंद्र: गुजरात में तैयार हुआ दुनिया का सबसे विशाल रिन्यूएबल एनर्जी पार्क !! (Green Energy Bharat )
  • PublishedMay 26, 2025

(Green Energy Bharat) 42 डिग्री की गर्मी, 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हवा और मीलों तक फैला सुनसान रेगिस्तान। गुजरात के कच्छ में जहां जिंदगी की कल्पना भी मुश्किल है, वहां राज्य के आखिरी गांव यानी खावड़ा में अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगा रही है।

कच्छ की तपती गर्मी में तैयार हो रहा भारत का भविष्य: खावड़ा में बन रहा दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्लांट ! (Green Energy Bharat )

42 डिग्री तापमान, 120 किमी/घंटा की तेज हवाएं और सुनसान रेगिस्तान—गुजरात के कच्छ जिले का खावड़ा गांव अब भारत की ऊर्जा क्रांति का केंद्र बन रहा है। यहां अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) दुनिया का सबसे बड़ा हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी पार्क बना रही है, जो 538 वर्ग किमी में फैला है—कई देशों से भी बड़ा। यह प्लांट सोलर और विंड दोनों से बिजली बनाता है। 2023 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में दो साल में 5 गीगावाट क्षमता का काम पूरा हो चुका है और लक्ष्य है इसे 30 गीगावाट तक ले जाना, जिससे 1.74 करोड़ घरों को रोशनी मिल सकेगी। पूरा सिस्टम AI बेस्ड है—यहां रोबोट्स सोलर पैनल की सफाई करते हैं। यह सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भारत को ग्रीन एनर्जी सुपरपावर बनाने की एक ऐतिहासिक पहल है। (Green Energy Bharat )

तकनीक से चमकता खावड़ा का ग्रीन प्लांट ! (Green Energy Bharat )

खावड़ा का यह रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट सिर्फ अपने विशाल आकार के लिए नहीं, बल्कि उन्नत तकनीक के इस्तेमाल के लिए भी खास है। यहां काम कर रहे इंजीनियर धवल परमार बताते हैं कि यहां लगे सोलर पैनल्स को सिंगल-एक्सिस ट्रैकर्स पर लगाया जाता है। ये ट्रैकर्स सूरज की दिशा के साथ-साथ घूमते हैं, ठीक वैसे ही जैसे सूरजमुखी का फूल सूरज की ओर मुड़ता है। इसकी मदद से पैनल्स 20-30% ज्यादा बिजली बना पाते हैं। खावड़ा जैसे सूखे इलाके में पानी की बचत भी एक बड़ी चुनौती है। इसे ध्यान में रखते हुए यहां सोलर पैनल्स की सफाई के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल होता है। ये रोबोट बिना पानी के—ब्रश, सक्शन, कपड़े, हवा या इलेक्ट्रिक चार्ज से—धूल साफ करते हैं। खास बात यह है कि ये रोबोट मौसम देखकर खुद तय करते हैं कि कब सफाई करनी है, और रास्ते में आने वाली रुकावटों से बचते भी हैं। धवल के मुताबिक, यहां ‘डिजिटल ट्विन’ तकनीक का भी इस्तेमाल होता है, जिससे हर मशीन की स्थिति, डेटा और प्लांट का पूरा डिजिटल मॉडल स्क्रीन पर दिखता है। इससे कोई मशीन अगर खराब होने वाली हो, तो पहले ही अलर्ट मिल जाता है। यहां तक कि सोलर मॉड्यूल लगाने का काम भी अब रोबोट्स ही करते हैं, जिससे काम की रफ्तार और सटीकता दोनों बढ़ जाती हैं। इन तकनीकों की बदौलत न सिर्फ अरबों लीटर पानी बचाया जा रहा है, बल्कि भारत की हरित ऊर्जा यात्रा और भी स्मार्ट बन रही है।(Green Energy Bharat)

5 साल तक चली ज़मीन से लेकर ज़िंदगी तक की जांच, तब जाकर शुरू हुआ खावड़ा एनर्जी प्रोजेक्ट(Green Energy Bharat)

खावड़ा में बन रहे दुनिया के सबसे बड़े ( ग्रीन एनर्जी भारत) प्रोजेक्ट की नींव कोई रातोंरात नहीं रखी गई। इसे शुरू करने से पहले पूरे 5 साल तक गहराई से जांच और टेस्टिंग की गई। इस दौरान सबसे पहले देखा गया कि इस बंजर और पथरीली ज़मीन पर इतना बड़ा प्रोजेक्ट टिक पाएगा या नहीं। इसके लिए जियोटेक्निकल जांच हुई, जिसमें मिट्टी और पत्थरों की मजबूती परखने के साथ-साथ 2001 के भुज भूकंप को ध्यान में रखते हुए भूकंपीय अध्ययन भी किया गया। इसके अलावा, यह भी आंका गया कि यहां सौर और पवन ऊर्जा कितनी प्रभावी तरीके से तैयार की जा सकती है। लेकिन बात सिर्फ तकनीक तक ही सीमित नहीं रही। पर्यावरण और स्थानीय लोगों पर असर को समझने के लिए ESIA रिपोर्ट तैयार की गई। इसके साथ ही, पर्यावरणीय और सामाजिक नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, इसके लिए ESDD टेस्टिंग हुई। जलवायु परिवर्तन, पानी की उपलब्धता, वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों पर प्रोजेक्ट का क्या असर होगा—ये सब भी परखा गया। (Green Energy Bharat)

538 वर्ग किलोमीटर में फैला खावड़ा एनर्जी प्लांट: साइज में 17 देशों से भी बड़ा(Green Energy Bharat)

सुबह के 9 बजे हम भुज से खावड़ा के लिए निकले। शुरुआत में कुछ हरियाली दिखी, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़े, रास्ता रेगिस्तानी होता चला गया—चारों ओर सिर्फ रेत, कांटेदार झाड़ियां और तेज़ हवाएं। हालात ऐसे थे कि दिन के उजाले में भी कार की हेडलाइट्स जलानी पड़ीं। करीब 4 घंटे के कठिन सफर के बाद और दो चेकपोस्ट पार करने के बाद हम खावड़ा पहुंचे। इनमें से एक चेकपोस्ट BSF (सीमा सुरक्षा बल) का था, जहां से प्रवेश के लिए खास अनुमति लेनी पड़ती है। रास्ते भर कई जगहों पर ‘खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट – अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड’ के बोर्ड नजर आए। जब हम प्लांट के पास पहुंचे, तो इसका विशाल आकार देखकर हम हैरान रह गए। यह क्षेत्रफल में मुंबई जितना बड़ा है और पेरिस से लगभग पांच गुना। इतना ही नहीं, दुनिया के 17 छोटे देश ऐसे हैं जो इससे छोटे हैं। (Green Energy Bharat)

इतनी बिजली कि 167 देश रोशन हो जाएं!(Green Energy Bharat)

खावड़ा में बन रहा यह रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट जब अपनी पूरी क्षमता यानी 30 गीगावाट तक पहुंच जाएगा, तो हर साल करीब 87.4 अरब यूनिट बिजली बनाएगा। यह इतनी ज्यादा बिजली होगी कि इससे लगभग 1.74 करोड़ घरों को रोशनी मिल सकेगी। अब ज़रा सोचिए — वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 195 देशों में से 167 देशों में इतने घर भी नहीं हैं। यानी, इस एक प्लांट से जितनी बिजली बनेगी, उससे दुनिया के 167 छोटे देशों को भी रोशन किया जा सकता है! ये आंकड़े सिर्फ भारत की तकनीकी और पर्यावरणीय शक्ति को नहीं दिखाते, बल्कि ये भी बताते हैं कि भारत अब ग्रीन एनर्जी का वैश्विक लीडर बनने की राह पर है। प्लांट में दाखिल होते ही एक अलग ही दुनिया देखने को मिली—चारों तरफ बड़ी-बड़ी क्रेनें, ट्रक और हजारों की संख्या में मजदूरों की टीमें जुटी थीं। हर कोई किसी न किसी काम में व्यस्त था। यह साफ दिख रहा था कि यह सिर्फ एक एनर्जी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भारत के भविष्य को रौशन करने वाली एक ऐतिहासिक पहल है। (Green Energy Bharat)

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Written By
Naval Kishor

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