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जयपुर के PHD किसान Dr. अतुल गुप्ता ने गोशाला में जड़ी बूटियों से किया 100 करोड़ का टर्नओवर (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta) 

जयपुर के PHD किसान Dr. अतुल गुप्ता ने गोशाला में जड़ी बूटियों से किया 100 करोड़ का टर्नओवर (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta) 
  • PublishedJune 7, 2024

Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta- पिंजरापोल गौशाला जयपुर की सबसे बड़ी गौशाला हैं। इस गौशाला की स्थापना डॉ. ज्वाला प्रसाद काचोलिया द्वारा की गई थी। यह गौशाला जयपुर में सांगानेर मारुती नगर में है। यहाँ 2700 गायों का एक बड़ा परिवार निवास करता है, जिनमें 2000 गायें, 200 सांड और 500 के लगभग बछीया-बछड़े हैं। यहां 2017 में हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी संस्था की स्थापना की थी, जिसके फाउंडर अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता (49) हैं। जो भरतपुर के किसान फैमिली से हैं। इन्होने एग्रीकल्चर में एमएससी किया हुआ है। इन्होने यहाँ से 1996 में जैविक खेती की शुरुआत की थी।

पिंजरापोल गौशाला में हर रोज 1300 किलो दूध का प्रोडक्शन होता है। यह करीब 240 बीघा क्षेत्र में फैली हुई है। इस गोशाला में हर नस्ल की गायें हैं, जहां देशी और विदेशी दोनों नस्ल भी शामिल हैं। इन जानवरो के गोबर से बनी खाद व अन्य प्रोडक्ट बहुत उपयोगी है। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta के जीवन की शुरुआत 

हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी संस्था के फाउंडर अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता (49) हैं। अतुल गुप्ता भरतपुर के किसान फैमिली से हैं। इन्होने एग्रीकल्चर में एमएससी किया हुआ है। अतुल गुप्ता ने फाइनेंशियल फ्रीडम ऑफ़ द इंडियन रूरल पीपल विषय में पीएचडी की डिग्री भी की है। अतुल ने जैविक खेती की शुरुआत 1996 में की थी। इन्होने 1996 में WHO की ओर से एक रिपोर्ट published हुई थी। इसमें गंभीर बीमारियो का जिक्र था। खेती में खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों का प्रयोग और लोगों के गलत खान-पान को इसका कारण बताया गया था। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

इसी वजह से अतुल ने सोचा की पुरानी तरीके से खेती को दुबारा किया जाए। इसके लिए यह ग्रंथों को पढ़ने लग गए। देश के अलग-अलग गांव में जाकर मिट्‌टी और पानी की जांच करने लगे। इन्हे इस जांच से यह पता चला की जमीन की fertility और मिट्टी में मिनरल्स बहुत कम हो चुके हैं। इस जांच के बाद इन्हे विचार आया की यह जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती शुरू करेंगे। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

अतुल ने 1996 में भरतपुर में इनके ही खेतों में यूरिया डीएपी सिंथेटिक फर्टिलाइजर के इस्तेमाल के बिना औषधीय पौधे (जड़ी-बूटियां) लगाने का काम शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2000 से किसानों को एलोवीरा, अश्वगंधा, चिरायता, मोरिंगा ओलीफेरा जैसी जड़ी बूटियां उगाकर आर्थिक रूप से मजबूत करने की ट्रेनिंग दी। अब तक देश भर में 70 हजार से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग दे चुके है। ट्रेनिंग प्रोग्राम 2010 से लगातार चल रहे हैं।

अतुल ने 2017 में जयपुर में सांगानेर की पिंंजरापोल गोशाला में औषधीय पादप केंद्र शुरू किया। अन्य किसानो के साथ मिलकर जैविक वन में 1 करोड़ से अधिक औषधीय पौधे लगा चुके हैं। इन औषधीय पौधों की पत्तियों-जड़ों से कई गंभीर रोगों का इलाज होता है। पार्क में 250 साल पुराना खेजड़ी का पेड़ भी है। इसके अलावा यहां अकरकरा, तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ, मोरिंगा, कीनोवा, चिया, पपीता के बीज और पौधे भी लगे हुए है। इनके अलावा स्टोर में गोबर और गोमूत्र से बने 350 से ज्यादा प्राेडक्ट भी हैं। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

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हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी संस्था के फायदे (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

  • हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी में एक वेदालय भी बनाया है जहां चरक संहिता के साथ आयुर्वेदिक औषधियों से संबंधित कई ग्रंथ हैं। इनमें औषधियों के गुण-प्रभाव (लाभ) बताए हैं। इन औषधियों से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर, किडनी, अस्थमा, माइग्रेन जैसी बीमारियों और रोगों का इलाज भी यहाँ मिलता हैं। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)
  • इनके अत्याधुनिक स्टोर में गोबर और गोमूत्र से बने 350 से ज्यादा प्राेडक्ट हैं। जिनमे गाय के गोबर से वर्मी कंपोस्ट, गोकाष्ठ, फिनाइल, पेंटिंग, पेपर, गमला, दीपक जैसे कई प्रोडक्ट बनाते हैं।
  • हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी में लगाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती, जैविक खाद और प्रोडक्ट निर्माण, औषधीय स्टोर से 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। बूटियां लगाना, उगाना, संभालना, काटना, छांटना, सुखाना और  एक जगह से दूसरे जगह  पर ले जाना यह सारा काम महिलाएं ही करती हैं। 
  • हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी 3000 हेक्टेयर में खेती कर रही है। सब कुछ मिलाकर सालाना टर्नओवर 100 करोड़ के पार है। इसमें  बिजनेस के साथ -साथ अभियान गोवंश को बचाने के लिए भी है। खेती में मशीनों के आने से पशुओं का उपयोग लगभग खत्म हो गया और इससे पशुओं का रहना और खाना भी नहीं हो पाता,  इसलिए इस संस्था में सारा काम गाय-बैलों से करते है और इनकी देखभाल भी करते है। गौशाला में गायों की देखभाल करने के लिए 100 से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)
  • स्टीविया (मीठी तुलसी) की खेती से डायबिटीज रोग के इलाज पर 2022 में डॉ अतुल गुप्ता को मॉरीशस में पुरस्कार दिया गया। 2020 में अफ्रीका के इथियोपिया और केन्या में कृषि में राष्ट्रीय एडवाइजर भी रहे है। 
  • इस संस्था में हजारों गायों का पालन पोषण होता है, जिससे हर साल करोड़ों रूपए का दूध का प्रोडक्शन होता है। यहाँ हर साल लाखों टन गोबर का उत्पादन होता है, जिसकी डिमांड विदेशों में भी रहती है। 
  • हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी संस्था में मीठी तुलसी, गोखरू,शतावरी भी उग रहे हैं और कई जड़ी-बूटियों के बीज भी तैयार करते हैं। जिनमे गोखरू तो राजस्थान में सबसे अधिक पाया जाता है। यह कांटेदार खरपतवार है। इसे जोड़ों के दर्द की दवा बनाने में काम में लिया जाता है। शतावरी महिलाओं के रोगों में आयुर्वेदिक औषधि है। इसकी खेती 2 साल की होती है। इसकी जड़ों को दवा के रूप में काम में लिया जाता है। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

कुछ दुर्लभ जड़ी -बूटियों का प्रोडक्शन : (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

  1. काली हल्दी – काली हल्दी असम में पायी जाती है , इसपर 12 साल तक रिसर्च करने पर अब यह जयपुर में भी उगाई जा रही है। 
  1. चिरायता – चिरायता पहाड़ी इलाको में पाया जाता है। यह बुखार और ब्लड साफ़ करने की दवा के तौर पर इस्तेमाल करते है। यह अब यहाँ भी पायी जाती है। 
  1. शतावरी – शतावरी हिमालय और श्री लंका की तरफ पाया जाता है। इसका इस्तेमाल बवासीर , बलवर्धन , अपच में किया जाता है। 
  1. अकरकरा – अकरकरा यूरोप , उत्तरी अफ्रीका और भारत -पाकिस्तान की तरफ पाया जाता है। यह स्पर्म काउंट बढ़ाने में इस्तेमाल होता है। यह यहाँ भी उगाई जा रही है। 
  1. इसके अलावा अशवगंधा ,गोखरू, तुलसी ,कालमेघ , सहजन, सुदर्शन , एलोवेरा , किनोवा , चिया के बीज भी तैयार किये जाते है।  

Conclusion :- हेनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी संस्था ने पिंजरापोल गौशाला के साथ मिलकर औषधीय जड़ी बूटियां उगाकर न केवल बीमारियों का इलाज कर रहे हैं, बल्कि जयपुर में औषधियों को पूरा मॉल तैयार कर चुके हैं। 70 हजार से ज्यादा किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग दे चुके हैं और गोबर से बनी खाद और अन्य प्रोडक्ट को 70 से ज्यादा देशों में सप्लाई कर रहे हैं। रोजाना 30 टन से ज्यादा गोबर से जैविक खाद तैयार हो रही है। खास बात ये कि मशीनों का इस्तेमाल किसी भी काम में नहीं करते है। (Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta)

Jaipur Goshala Dr. Atul Gupta की खेती में खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों का इस्तेमाल बिलकुल  नहीं होता, यह सब प्राकृतिक चीजे ही इस्तेमाल करते है। 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले ये किसान बैलों से ही जुताई और दूसरे काम करते हैं। इनके इस आयुर्वेदिक और जैविक खेती मॉडल से सालाना टर्नओवर 100 करोड़ के पार होता है। डॉ. अतुल गुप्ता का लक्ष्य वर्तमान में देश की 75 हजार गोशाला को आत्मनिर्भर बनाने का है। राजस्थान को 2030 तक जैविक खाद का इस्तेमाल करने वाला प्रदेश बनाने का संकल्प है।

Written By
Naval Kishor

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