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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं और इस दिन पूजा कब और कैसे करे ? (Mahashivratri ki puja kaise kre)

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं और इस दिन पूजा कब और कैसे करे ? (Mahashivratri ki puja kaise kre)
  • PublishedMarch 7, 2024

Mahashivratri ki puja kaise kre- फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का यह पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव होते हैं। इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी  को महाशिवरात्रि मनाई जाती है और उस दिन शिवजी की विशेष पूजा करते हैं। शिवरात्रि पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। जो भगवान शिव के प्राकट्य, विवाह, समुद्र मंथन और कैलाश पर्वत से जुड़ी हैं।  इस दिन पूजा के साथ शिव जी के पौराणिक मंदिरों में दर्शन करने की परंपरा है। शिव पुराण के अनुसार इस दिन महादेव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। लेकिन माना जाता है की इस दिन शिव-पार्वती विवाह हुआ था। (Mahashivratri ki puja kaise kre)

इस दिन की गई शिव पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। शिवरात्रि पर विधिवत पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो सिर्फ जल और दूध चढ़ाकर भी सामान्य पूजा कर सकते हैं। शिवलिंग का जलाभिषेक करने का महत्व काफी अधिक है। शिव जी को खासतौर पर ठंडक देने वाली चीजें जैसे जल, दूध, दही, घी चढ़ाने की परंपरा है। जलाभिषेक करने का अर्थ है शिवलिंग पर जल चढ़ाना। शिव जी का एक नाम रुद्र भी है, इसलिए जलाभिषेक को रुद्राभिषेक भी कहते हैं। 

महाशिवरात्रि मनाने की चार महत्वपूर्ण वजह- (Mahashivratri ki puja kaise kre)

शिवरात्रि का मतलब होता है शिव तत्व वाली रात

शिवरात्रि का अर्थ है वो रात्रि, जिसका शिवतत्व के साथ घनिष्ठ संबंध है। भगवान शिवजी की अतिप्रिय रात्रि को शिवरात्रि कहा गया है। इस व्रत में रातभर जागरण और रुद्राभिषेक करने का विधान है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि महाशिवरात्रि का पूजन, जागरण और उपवास करने वाले का पुनर्जन्म नहीं हो सकता अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा, विष्णु तथा पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने बताया कि शिवरात्रि व्रत करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में मोक्ष के चार रास्ते बताए हैं। इन चारों में भी शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है इसकी वजह से ज्यादातर लोग इस दिन व्रत रखते हैं। 

इस दिन लिंग रूप में प्रकट हुए भगवान शिव (Mahashivratri ki puja kaise kre)

शिव पुराण में लिखा है कि महाशिवरात्रि पर ही भगवान शिव पहली बार प्रकट हुए थे। दरअसल, ब्रह्मा-विष्णु में इस बात पर विवाद हो गया था कि बड़ा कौन है। तब सर्वशक्तिशाली शिव अग्नि स्तंभ बनकर प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि जो भी उनके आदि या अंत का पता लगा ले, वही श्रेष्ठ है। दोनों असफल रहे और फिर ईश्वर के अस्तित्व को जाना। (Mahashivratri ki puja kaise kre)

शिव-पार्वती के विवाह का दिन

माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने कठिन तपस्या की। भोलेनाथ ने कहा कि वे किसी राजकुमार से शादी करें क्योंकि एक तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं है। पार्वती की जिद्द के आगे अंतत: शिव पिघल गए और दोनों का विवाह हुआ। (Mahashivratri ki puja kaise kre)

शिवजी ने समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष पिया था 

यह भी माना जाता है कि समुद्र मंथन में सबसे पहले हलाहल विष निकला। इसकी ज्वाला तेज थी। जिससे देवता और दैत्य जलने लगे और हर तरफ त्राहिमाम होने लगा, तब सबने शंकर जी से प्रार्थना की। तब महादेव जी इसी दिन उस विष को पिए थे इसकी वजह से भी महाशिवरात्रि मनाई जाती हैं। विष पीने के प्रभाव के चलते शिवजी का कंठ नीला पड़ गया। इस गर्मी को कम करने के लिए देवताओं ने शिवजी पर बिल्वपत्र चढ़ाएं। (Mahashivratri ki puja kaise kre)

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव एकात्म हुए थे 

यौगिक परंपरा में शिवजी को देवता नहीं, आदिगुरु माना गया हैं। इसका मतलब  पहले गुरु, जिनसे ज्ञान प्राप्त हुआ। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों (millennials) के बाद एक दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर पूरी तरह से स्थिर हो गए। तब उनकी सारी गतिविधियां शांत हो गईं और वे पूरी तरह स्थिर हो गए। माना जाता है कि वो दिन महाशिवरात्रि का था। 

शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे ज्यादा है। अगर आपके शहर में या आपके शहर के आसपास कोई ज्योतिर्लिंग है तो वहां दर्शन जरूर करें। जो लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो शिव जी की किसी अन्य मंदिर में दर्शन-पूजन कर सकते हैं।

आइये जानते है  सभी 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी खास बातें। (Mahashivratri ki puja kaise kre)

शिव लिंग पर जल-दूध चढ़ाते समय ध्यान रखने वाली बाते – (Mahashivratri ki puja kaise kre)

ध्यान रखें शिवलिंग पर जल सोने, चांदी, पीतल या तांबे के लोटे से चढ़ाना चाहिए। दूध के लिए चांदी के बर्तन का उपयोग करेंगे तो बेहतर रहेगा। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के कलश से जल-दूध चढ़ा सकते हैं। स्टील, एल्युमिनियम या लोहे के लोटे का उपयोग करने से बचना चाहिए। पूजा-पाठ के लिए ये धातुएं शुभ नहीं मानी जाती है। लोटे में जल-दूध भरें और पतली धारा शिवलिंग पर चढ़ाएं। जल-दूध चढ़ाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहना चाहिए। (Mahashivratri ki puja kaise kre)

ऐसे कर सकते है शिव जी की सरल पूजा (Mahashivratri ki puja kaise kre)

  • महाशिवरात्रि पर सबसे पहले गणेश पूजा करें।
  • गणेश पूजा के बाद शिवलिंग पर तांबे, चांदी या सोने के लोटे से जल चढ़ाएं।
  • जल चढ़ाते समय शिव जी के मंत्रों का जप करें। जल के साथ ही शिवलिंग पर दूध, दही, शहद भी चढ़ाना चाहिए।
  • अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चीजें अर्पित करें।
  • मिठाई का भोग लगाएं।
  • धूप-दीप जलाकर आरती करें। 
  • भगवान के मंत्रों का जाप करें। 
  • शिव मंत्र ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप किया जा सकता है।

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Written By
Naval Kishor

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