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₹25 लाख कमाता हूं, फिर भी लगती है नाकामी”: Reddit यूज़र का सवाल — क्या मिडिल क्लास परिवार कभी सच में सुरक्षित महसूस कर सकते हैं?

₹25 लाख कमाता हूं, फिर भी लगती है नाकामी”: Reddit यूज़र का सवाल — क्या मिडिल क्लास परिवार कभी सच में सुरक्षित महसूस कर सकते हैं?
  • PublishedJuly 25, 2025

मुंबई में रहने वाला 24 साल का एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जिसकी सालाना कमाई करीब ₹25 लाख है, हाल ही में Reddit पर एक बेहद निजी और भावुक पोस्ट लेकर आया। इस पोस्ट ने जल्दी ही सोशल मीडिया पर वायरल रफ्तार पकड़ ली।

इस युवा ने अपने माता-पिता की शादी की 40वीं सालगिरह पर पूरे परिवार को दुबई ले जाकर सेलिब्रेट करने की इच्छा जताई — एक छोटा-सा शुक्रिया, उनके सालों के त्याग और प्यार के लिए। (Middle class life in India)

लेकिन, इतनी अच्छी सैलरी होने के बावजूद, उसने यह भी कबूल किया कि वो खुद को इस ट्रिप को लेकर असहज और चिंतित महसूस कर रहा है — क्योंकि उसे डर है कि कहीं यह खर्च उसकी फाइनेंशियल स्थिरता को खतरे में न डाल दे।

मुंबई जैसे महंगे शहर में अकेले रहने के खर्च, जीवनशैली, परिवार की ज़िम्मेदारियां और भविष्य के लिए सेविंग का दबाव — ये सब मिलकर उसे हर खर्च पर बार-बार सोचने पर मजबूर करते हैं, भले ही वो भावनात्मक रूप से कितना भी ज़रूरी क्यों न हो।

उसकी ईमानदार बातें हज़ारों लोगों के दिल को छू गईं — खासकर भारत के मिडल क्लास युवाओं के लिए, जो खुद को अक्सर इस उलझन में पाते हैं: (Middle class life in India)
“पहली पीढ़ी से ज़्यादा कमा रहे हैं, लेकिन फिर भी सुरक्षित या सफल महसूस नहीं होता।”

और यही सवाल इस वायरल पोस्ट ने उठाया — क्या आज के समय में मिडिल क्लास के लिए फाइनेंशियल सुरक्षा बस एक भ्रम है, चाहे आप कितना भी मेहनत क्यों न करें या कितना भी कमाएं?

इनाम के सपने vs ज़िम्मेदारियों का बोझ (Middle class life in India)

भले ही इस इंजीनियर ने अब तक खुद के लिए ₹25 लाख तक की सेविंग कर ली है — जो किसी भी मानक से एक बहुत बड़ी बात है — और उसका अनुमान है कि उसके पूरे परिवार की कुल सेविंग्स करीब ₹1 करोड़ तक है, फिर भी जब उसने अपने माता-पिता को दुबई ले जाने का प्लान बताया, तो उसे सबसे ज़्यादा रोकने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका खुद का पिता था

बेटे की इस एक्साइटमेंट को शेयर करने के बजाय, पिता ने उसे बहुत यथार्थवादी सलाह दी। उन्होंने कहा कि खर्च करने से पहले भावनाओं से नहीं, होश से काम लेना चाहिए — चाहे इरादा कितना भी नेक क्यों न हो। (Middle class life in India)

उनके हिसाब से, लंबे समय की फाइनेंशियल समझदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब आर्थिक अनिश्चितता तेजी से बढ़ रही है।

उन्होंने कुछ बड़े खर्चों की ओर इशारा किया — जैसे कि शादी, जिसकी लागत ₹30–₹40 लाख तक हो सकती है। फिर परिवार की मदद, मेडिकल इमरजेंसी, या शहर बदलने जैसी अनजानी ज़रूरतें भी होती हैं।

मुंबई जैसे शहर में, जहाँ 2BHK घर का किराया ₹50,000 प्रति माह तक हो सकता है, वहां हर महीने का खर्च ही इतना होता है कि “लग्ज़री” जैसी चीज़ों के लिए बहुत कम जगह बचती है — भले ही आपकी सैलरी कितनी भी ज़्यादा क्यों न हो।

लेकिन बेटे को सबसे ज्यादा जिस बात ने सोचने पर मजबूर किया, वो थी उसके पिता की एक गहरी और भावनात्मक बात।

उन्होंने कहा कि तीन पीढ़ियों की मेहनत के बावजूद — दादा-दादी से लेकर अब तक — परिवार उस “सफलता” को नहीं छू सका, जिसे समाज में बहुत ऊंचा माना जाता है। (Middle class life in India)

घर का मालिक बनना, कर्ज़ मुक्त ज़िंदगी, और टेंशन-फ्री रिटायरमेंट — ये सब अब भी उनके लिए बहुत दूर हैं।

और इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह थी कि उनके पिता ने भविष्य की नौकरियों को लेकर चिंता जताई।

AI और ऑटोमेशन के तेज़ विकास के चलते, उन्हें डर है कि अब “स्टेबल जॉब” भी मिडिल क्लास के लिए भरोसे की चीज़ नहीं रही। जो लोग कम वेतन या दोहराव वाली नौकरियों में हैं, उनके लिए तो यह खतरा और भी ज्यादा है, लेकिन धीरे-धीरे ये असर सभी तक पहुंच सकता है।

असल में, उनके पिता की बातों ने एक सच्चाई सामने रखी: (Middle class life in India)
जितनी तेज़ आप कमाते हैं, उतनी ही तेज़ ज़िम्मेदारियाँ पीछा करती हैं।
और मिडिल क्लास परिवारों के लिए असली आर्थिक सुरक्षा अब भी एक कमजोर और दूर का सपना बनी हुई है।

पहली पीढ़ी में दौलत बनाना है, तो रास्ता मुश्किल है (Middle class life in India)

Reddit यूज़र ने लिखा: “ज़िंदगी तब और कठिन होती है जब आप सब कुछ अपने दम पर बना रहे होते हैं।”

ये एक ऐसा सच है, जो हर उस इंसान की हकीकत है जो अपने परिवार में पहली बार आर्थिक सफलता की ओर बढ़ रहा है।

ऐसे लोगों के पास न कोई विरासत होती है, न कोई सेफ्टी नेट। (Middle class life in India)
न कोई रेंटल इनकम, न कोई शेयर बाजार में पुराना पोर्टफोलियो।

हर एक रुपया मेहनत से कमाया जाता है। हर एक खर्च — चाहे वो सब्ज़ी खरीदना हो या ट्रिप प्लान करना — लंबी सोच के साथ किया जाता है।

पारंपरिक परिभाषा में सफलता — जैसे खुद का घर, कर्ज़मुक्त जीवन, बिना डर के खर्च करना — ये सब तब और मुश्किल हो जाता है जब आप सब कुछ शुरू से शुरू कर रहे हों। (Middle class life in India)

रास्ता लंबा होता है, अकेला होता है और ज़्यादा थकाने वाला भी।
दुनिया भले ही उन लोगों की तारीफ करती हो जो रातों-रात करोड़पति बन जाते हैं, लेकिन मिडिल क्लास यूथ की ये चुपचाप की गई जद्दोजहद अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाती है। (Middle class life in India)

नई परिभाषा, नई उम्मीदें: सफलता अब कैसी दिखती है? (Middle class life in India)

इस Reddit पोस्ट ने सिर्फ एक युवा की चिंता या असमंजस को सामने नहीं रखा — इसने आज के दौर के मिडिल क्लास भारत की सामूहिक भावनाओं को आवाज़ दी है। एक दौर था जब सफलता का मतलब था — एक स्थायी नौकरी, एक घर, एक कार, और एक दिन आरामदायक रिटायरमेंट। लेकिन अब वक़्त बदल चुका है। (Middle class life in India)

आज की पीढ़ी के लिए सफलता सिर्फ बैंक बैलेंस नहीं, बल्कि दिमाग की शांति, समय की आज़ादी, और काम में मतलब बन चुकी है। लोग अब ये पूछने लगे हैं — (Middle class life in India)
“मैं कितना कमा रहा हूं?” से ज़्यादा, “मैं कैसा महसूस कर रहा हूं?” और शायद यही इस पूरी कहानी की सबसे बड़ी सीख है — कि आर्थिक सफलता सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं होती, बल्कि पूरे परिवार, समाज और पीढ़ियों की सामूहिक यात्रा होती है। जब आप पहली पीढ़ी से शुरुआत करते हैं,

तो आपकी जीत सिर्फ आपकी नहीं होती — वो आपके माता-पिता के त्याग, आपके दादा-दादी के संघर्ष और आने वाली पीढ़ियों की उम्मीद बन जाती है। इसीलिए, अगर आज आप थक रहे हैं, लड़ रहे हैं, और फिर भी चलते जा रहे हैं — तो जान लीजिए, आप सिर्फ पैसे नहीं, बल्कि एक नई विरासत गढ़ रहे हैं। (Middle class life in India)

 अब “अमीर” होने का मतलब है:

  • अपने मनपसंद काम को चुन पाना
  • अपनों के साथ समय बिता पाना
  • ज़रूरत पड़ने पर हां या ना कह पाने की हिम्मत
  • अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत को प्राथमिकता देना(Middle class life in India)

अगर आप भी शुरुआत कर रहे हैं — बिना किसी विरासत, बिना किसी मदद — तो जान लीजिए, आप अकेले नहीं हैं। आपकी रफ़्तार चाहे धीमी हो, लेकिन आपकी दिशा सही है।

 सच्ची सफलता अब सिर्फ मंज़िल नहीं — एक सुकूनभरा सफर है।

तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे “क्या तुम सफल हो?” (Middle class life in India)
तो मुस्कुराकर पूछिए —
“आपकी परिभाषा क्या है?”

✍️ आपकी कहानी भी किसी और के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है।
👇 नीचे कमेंट में बताइए — आपके लिए ‘सफलता’ क्या मायने रखती है?

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❓ 1. ₹25 लाख की सैलरी पर भी असुरक्षित क्यों महसूस होता है? (Middle class life in India)

💬 बड़ी सैलरी होने के बावजूद, मुंबई जैसे महंगे शहर में अकेले रहना, भविष्य के लिए सेविंग करना, और परिवार की ज़िम्मेदारियाँ निभाना — ये सभी चीज़ें खर्च को बहुत बढ़ा देती हैं। इसके अलावा, जब आप पहली पीढ़ी के वेल्थ क्रिएटर होते हैं, तो सेफ्टी नेट (जैसे विरासत, पहले से बना घर या इनवेस्टमेंट) नहीं होता — जिससे हर निर्णय का दबाव दोगुना लगता है।

❓ क्या मिडिल क्लास फाइनेंशियल सिक्योरिटी हासिल कर सकती है?

 हां, लेकिन यह लंबी और सोच-समझ कर चलने वाली प्रक्रिया है। पारंपरिक सफलता (जैसे घर, कार, रिटायरमेंट फंड) पाने में ज़्यादा वक्त और मेहनत लगती है, खासकर तब जब आप ‘फर्स्ट-जेनरेशन वेल्थ बिल्डर’ हों। लेकिन अब सफलता की परिभाषा भी बदल रही है — अब मानसिक शांति, समय की आज़ादी और संतुलन भी उतने ही महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

❓ पहली पीढ़ी में दौलत बनाना इतना मुश्किल क्यों होता है?

 क्योंकि शुरुआत ज़ीरो से होती है।

  • न रियल एस्टेट इनकम होती है
  • न शेयर मार्केट पोर्टफोलियो
  • न कोई फैमिली बैकअप
    हर खर्च और बचत खुद से मैनेज करनी पड़ती है। इसके अलावा, सामाजिक दबाव और अपेक्षाएँ भी मानसिक तनाव बढ़ाते हैं।

❓ क्या सिर्फ पैसे कमाना ही सफलता है?

 नहीं। आज की जनरेशन मानती है कि असली सफलता का मतलब है:

  • मानसिक और भावनात्मक स्थिरता
  • समय की आज़ादी
  • अपने पसंद का काम करना
  • और अपनों के साथ सुकून भरे पल बिताना
    पैसे ज़रूरी हैं, लेकिन वो सब कुछ नहीं।

❓ इस पोस्ट से क्या सीख मिलती है?

 यह पोस्ट हमें याद दिलाती है कि हर किसी की यात्रा अलग होती है। दूसरों की तुलना में नहीं, बल्कि अपनी प्रगति को देखकर संतुष्ट रहना ज़रूरी है। साथ ही, नई पीढ़ी के लिए ‘सफलता’ का मतलब अब सिर्फ दौलत नहीं — बल्कि संतुलित और अर्थपूर्ण जीवन है।

❓ अगर मैं भी ऐसा ही महसूस कर रहा हूँ तो क्या करें?

  1. खुद पर दबाव डालना बंद करें — आपकी कहानी और रफ्तार आपकी अपनी है।
  2. अपनी वित्तीय स्थिति को समझकर ही बड़े फैसले लें।
  3. मानसिक स्वास्थ्य को उतनी ही प्राथमिकता दें जितनी बैंक बैलेंस को।
  4. छोटी सफलताओं को भी Celebrate करना सीखें।
  5. जरूरत पड़े तो किसी वित्तीय सलाहकार या काउंसलर से बात करें।
Written By
Naval Kishor

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