उप-राष्ट्रपति ने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे दिया – अब आगे क्या होगा?

भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर एक असामान्य और अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारतीय गणराज्य में उप-राष्ट्रपति का पद, राष्ट्रपति के बाद, अत्यंत प्रतिष्ठित और संवैधानिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखता है। इस पद से किसी भी व्यक्ति का कार्यकाल पूरा होने से पहले त्यागपत्र देना एक बहुत ही दुर्लभ घटना मानी जाती है, जिसे भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में सामान्य रूप से नहीं देखा जाता।
धनखड़ अब स्वतंत्र भारत के इतिहास में तीसरे ऐसे उप-राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने अपना पूरा पाँच साल का कार्यकाल पूरा किए बिना ही पद छोड़ दिया। इससे पहले केवल दो उप-राष्ट्रपतियों — वी.वी. गिरि और आर. वेंकटरमण — ने ऐसा किया था, और दोनों ने यह कदम राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग लेने के उद्देश्य से उठाया था। वी.वी. गिरि के त्यागपत्र के बाद गोपाल स्वरूप पाठक को उप-राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था, जबकि वेंकटरमण के इस्तीफे के पश्चात शंकर दयाल शर्मा ने इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभाला था। (vice president resignation)
अब जब धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, तो देश भर में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आगे क्या होगा? क्या कोई कार्यवाहक उप-राष्ट्रपति नियुक्त किया जाएगा? क्या जल्द ही नया चुनाव होगा? इस असामान्य परिस्थिति में आगे की संवैधानिक प्रक्रिया कैसी होगी?
आइए, हम इसे सरल और सहज भाषा में समझने की कोशिश करते हैं, ताकि हर जागरूक नागरिक इस स्थिति के महत्व को भली-भांति जान सके।
अब उप-राष्ट्रपति की जिम्मेदारियां कौन निभाएगा? (vice president resignation)
जब किसी उप-राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा हो जाता है, तो स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि उस पद की जिम्मेदारियां कौन निभाएगा। भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो यह कहता हो कि उप-राष्ट्रपति के इस्तीफे की स्थिति में किसी व्यक्ति को “कार्यकारी (Acting) उप-राष्ट्रपति” नियुक्त किया जाए। यानी, इस पद पर अस्थायी रूप से किसी और की नियुक्ति का कोई कानूनी या संवैधानिक प्रावधान नहीं है।
हालांकि, उप-राष्ट्रपति के पास एक अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व होता है — वह राज्यसभा के पदेन सभापति (ex-officio Chairman of Rajya Sabha) होते हैं। राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना, बहसों को नियंत्रित करना, नियमों का पालन सुनिश्चित करना आदि उनके प्रमुख कर्तव्य होते हैं। (vice president resignation)
अब जब उप-राष्ट्रपति का यह पद खाली हो गया है, तो ऐसी स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति, जो वर्तमान में हरीवंश नारायण सिंह हैं, अस्थायी रूप से इस भूमिका को निभाएंगे। वह तब तक राज्यसभा की बैठकें और रोज़मर्रा की कार्यवाही की निगरानी करेंगे जब तक कि संसद द्वारा नए उप-राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता। यह एक संवैधानिक परंपरा है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि संसद का कार्य बाधित न हो और लोकतंत्र की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहे।
नए उप-राष्ट्रपति का चुनाव कब और कैसे होगा?
जब किसी राष्ट्रपति के पद पर आकस्मिक रूप से रिक्ति होती है, तो भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से निर्देश देता है कि उस स्थिति में छह महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन उप-राष्ट्रपति के मामले में संविधान इतनी सख्त समय-सीमा तय नहीं करता। इसकी बजाय, संविधान में केवल इतना कहा गया है कि यदि उप-राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए, तो “जितनी जल्दी संभव हो सके” (as soon as possible) चुनाव कराया जाना चाहिए।
इस पूरी चुनाव प्रक्रिया की जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India) की होती है। आयोग ही यह तय करता है कि चुनाव कब होंगे, और किस तिथि को नामांकन, मतदान और मतगणना की प्रक्रिया संपन्न होगी। चुनाव आयोग आगामी दिनों में इस संबंध में आधिकारिक कार्यक्रम और तिथियों की घोषणा करेगा। (vice president resignation)
यह चुनाव एक विशेष कानून — “राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952” — के अंतर्गत संपन्न होता है। इसी कानून में चुनाव से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं, नियम और शर्तें स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई हैं।
परंपरागत रूप से, उप-राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान लोकसभा या राज्यसभा के महासचिव में से किसी एक को रिटर्निंग ऑफिसर (Returning Officer) के रूप में नियुक्त किया जाता है, जो इस पूरे चुनावी प्रक्रिया का संचालन करता है। यह नियुक्ति रोटेशन (rotation) के आधार पर की जाती है, यानी एक बार लोकसभा सचिव को चुना जाता है तो अगली बार राज्यसभा सचिव को। (vice president resignation)
इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और संविधान के अनुरूप तरीके से संपन्न हों, और लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे।
नया उप-राष्ट्रपति कितने समय के लिए पद पर रहेगा? (vice president resignation)
यह एक आम सवाल है कि जब कोई उप-राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे देता है, तो क्या उसका उत्तराधिकारी सिर्फ बचे हुए समय के लिए ही नियुक्त किया जाएगा? लेकिन इसका जवाब है — नहीं।
जो भी नया व्यक्ति उप-राष्ट्रपति पद के लिए चुना जाएगा, वह केवल धनखड़ के शेष बचे कार्यकाल को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि उस दिन से एक नया और पूर्ण पाँच साल का कार्यकाल शुरू करेगा, जिस दिन वह औपचारिक रूप से पद की शपथ लेगा। (vice president resignation)
यह नियुक्ति संविधान के अनुसार एक स्वतंत्र और पूर्ण कार्यकाल मानी जाती है, जिसमें नया उप-राष्ट्रपति उसी तरह सभी संवैधानिक अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाएगा, जैसे कोई नियमित रूप से चुना गया उप-राष्ट्रपति करता है। इसमें कोई कटौती नहीं होती, भले ही पहले उप-राष्ट्रपति का कार्यकाल आधे रास्ते में ही समाप्त हुआ हो।
इस प्रकार, यह केवल एक रिक्ति को भरने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक नई संवैधानिक शुरुआत मानी जाती है — जो भारत के लोकतांत्रिक और संस्थागत ढांचे की मजबूती को दर्शाती है। (vice president resignation)
नया उप-राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है? (vice president resignation)
उप-राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव एक विशेष और सीमित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जो भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और संवैधानिक व्यवस्था को दर्शाता है। यह चुनाव नई दिल्ली स्थित संसद भवन (Parliament House) में आयोजित किया जाता है।
इस चुनाव में केवल संसद के सदस्य (Members of Parliament – MPs) भाग लेते हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि आम जनता इस चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेती — यह एक प्रतिनिधि प्रणाली के अंतर्गत संपन्न होता है। (vice president resignation)
चुनाव गुप्त मतदान (Secret Ballot) के माध्यम से होता है, जिसका अर्थ है कि किस सांसद ने किस उम्मीदवार को वोट दिया, यह पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सांसद बिना किसी दबाव या प्रभाव के स्वतंत्र रूप से अपनी पसंद के अनुसार वोट डाल सकें।
उप-राष्ट्रपति के चुनाव में एक विशेष प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिसे कहते हैं:
👉 अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation)
👉 एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System)
इस प्रणाली के तहत, हर सांसद को यह अधिकार होता है कि वह एक से अधिक उम्मीदवारों को पसंद के क्रम (Preference Order) में अंकित करे — जैसे: पहली पसंद, दूसरी पसंद, तीसरी पसंद आदि। (vice president resignation)
हर सांसद का वोट समान मूल्य (Equal Value) रखता है। किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए ‘कोटा’ (Quota) प्राप्त करना आवश्यक होता है।
🧮 कोटा कैसे तय किया जाता है?
कोटा की गणना इस सूत्र से की जाती है:
(कुल वैध मतों की संख्या ÷ 2) + 1
उदाहरण के तौर पर, यदि कुल 780 सांसदों ने वैध वोट डाले, तो:
(780 ÷ 2) + 1 = 391 वोटों की आवश्यकता होगी
(यदि गणना में कोई दशमलव आता है, तो उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है)
⚙️ चुनाव की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है? (vice president resignation)
- यदि किसी उम्मीदवार को पहली पसंद के वोटों में ही यह कोटा मिल जाता है, तो उन्हें तुरंत विजेता घोषित कर दिया जाता है।
- यदि कोई भी उम्मीदवार पहले चरण में कोटा पूरा नहीं करता, तो सबसे कम पहली पसंद वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। (vice president resignation)
- उस उम्मीदवार के मतपत्रों को फिर देखा जाता है और उस पर जो दूसरी पसंद अंकित है, उसके आधार पर वोट बाकी बचे उम्मीदवारों में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं।
- यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक कोई एक उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर लेता।
यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि उप-राष्ट्रपति बहुसंख्यक सांसदों के विश्वास के साथ चुना जाए और सभी उम्मीदवारों को न्यायसंगत प्रतिस्पर्धा का मौका मिले।

उप-राष्ट्रपति पद के लिए कौन-कौन खड़े हो सकते हैं? (vice president resignation)
भारत के उप-राष्ट्रपति पद को देश का दूसरा सबसे उच्च संवैधानिक पद माना जाता है, और इसलिए इस पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए कुछ निर्धारित संवैधानिक योग्यताएं पूरी करना जरूरी होता है। ये योग्यताएं यह सुनिश्चित करती हैं कि केवल योग्य, अनुभवी और स्वतंत्र व्यक्तित्व वाले व्यक्ति ही इस प्रतिष्ठित पद के लिए चुनाव लड़ सकें।
✅ योग्यता की मुख्य शर्तें इस प्रकार हैं: (vice president resignation)
- भारत का नागरिक होना चाहिए:
उप-राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है। यह सबसे बुनियादी और प्राथमिक शर्त है। - उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए: (vice president resignation)
उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। यह शर्त इस बात को सुनिश्चित करती है कि उम्मीदवार के पास जीवन और प्रशासनिक अनुभव का न्यूनतम स्तर हो। - राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए:
इसका मतलब है कि उम्मीदवार को वही सभी योग्यताएं पूरी करनी चाहिए, जो किसी व्यक्ति को राज्यसभा सदस्य बनने के लिए जरूरी होती हैं — जैसे नैतिक चरित्र, दिवालिया न होना, आदि। - देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र से मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए:
उम्मीदवार को भारत के किसी भी लोकसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट में शामिल होना चाहिए यानी वह मतदाता होना चाहिए। - लाभ का कोई पद (Office of Profit) नहीं होना चाहिए: (vice president resignation)
उम्मीदवार के पास ऐसा कोई सरकारी पद नहीं होना चाहिए जिससे उसे वेतन, भत्ता या लाभ मिल रहा हो।
❗ हालांकि कुछ पद इस नियम से बाहर हैं, जैसे:
- राष्ट्रपति
- उप-राष्ट्रपति
- राज्यपाल
- केंद्रीय या राज्य मंत्री
ये पद धारक व्यक्ति उप-राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि इन्हें संविधान में विशेष छूट दी गई है।
- राष्ट्रपति
इन सभी शर्तों का उद्देश्य यह है कि उप-राष्ट्रपति जैसे गंभीर और गरिमामयी पद पर ऐसा व्यक्ति बैठे, जो संविधान के प्रति निष्ठावान, राजनीतिक रूप से स्वतंत्र, और लोकतंत्र की मर्यादाओं को समझने वाला हो।
इस प्रक्रिया के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि देश का उप-राष्ट्रपति न केवल राज्यसभा की गरिमा को बनाए रखे, बल्कि संवैधानिक संकट की स्थिति में राष्ट्रपति की सहायता करने में भी पूरी तरह सक्षम हो।
लोकतंत्र की परिपक्वता की परीक्षा (vice president resignation)
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे ने भारतीय संविधान की स्थिरता और लोकतांत्रिक संस्थाओं की परिपक्वता को एक बार फिर से केंद्र में ला दिया है। भले ही यह एक असामान्य स्थिति हो, लेकिन हमारे संविधान और संस्थागत प्रक्रियाएं इतनी मज़बूत हैं कि वे बिना किसी बाधा के आगे बढ़ने में सक्षम हैं। (vice president resignation)
चाहे कार्यवाहक सभापति की नियुक्ति हो, चुनाव आयोग द्वारा नई प्रक्रिया की घोषणा हो, या उप-राष्ट्रपति के चुनाव की जटिल प्रणाली — हर चरण यह दर्शाता है कि भारत का लोकतंत्र केवल चुनावों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गहराई से संविधान, प्रक्रिया और उत्तरदायित्व पर आधारित है। (vice president resignation)
नए उप-राष्ट्रपति का चयन न केवल एक संवैधानिक ज़रूरत है, बल्कि यह मौका है एक ऐसे नेता को चुनने का जो संसद की गरिमा, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कर सके। (vice president resignation)
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यह लेख उन सभी लोगों तक पहुँचाएं जो भारतीय संविधान और लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को समझना चाहते हैं। जागरूक नागरिक ही मजबूत लोकतंत्र की नींव होते हैं।
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🇮🇳 आइए, संविधान को समझें, लोकतंत्र को मजबूत बनाएं। (vice president resignation)
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